वर्ग 3 की एमपी टेट परीक्षा निरस्त कराई जाए: तोमर

वर्ग 3 की एमपी टेट परीक्षा निरस्त कराई जाए: तोमर

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मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कराई गई वर्ग 3 की एमपी टेट परीक्षा निरस्त कराई जाए। क्योंकि इस परीक्षा में न केवल घोटाला किया गया है, बल्कि पढ़ने वाले छात्रों के खिलवाड़ किया गया है। अगर यह परीक्षा निरस्त नहीं की गई तो आम आदमी पार्टी प्रदेश भर में आंदोलन कर भाजपा सरकार की ईंट से ईंट बजा देगी। यह मांग मंगलवार को आम आदमी पार्टी के पदाधिकारियों ने राज्यपाल के नाम तहसीलदार अनिल राघव को ज्ञापन सौंपकर की है। ज्ञापन सौंपने के बाद
आम आदमी पार्टी के जिला यूथ विंग के अध्यक्ष मयंक सिंह तोमर ने बताया कि परीक्षा से पहले पेपर वाइरल होना गंभीर बात है। इससे न केवल छात्रों का भविष्य खराब होगा, बल्कि शासन की नियत पर सवाल उठ रहा है। इसलिए इस परीक्षा को निरस्त करना चाहिए। तहसीलदार को ज्ञापन सौंपने वालों में पवन सिंह भदौरिया, शिवम सिंह तोमर, प्रवीण कुमार, अंकित जादौन, अमन खान, मयंक सिंह तोमर, गौरव तोमर, केतन दुबे, शुभम तोमर, सत्येंद्र सिंह तोमर, विक्की सिंह आदि शामिल थे।
‘शिक्षकों की पात्रता परीक्षा के पेपर लीक इसलिए निरस्त हो’

पोरसा. व्यापमं परीक्षा में शिक्षा विभाग का पेपर लीक हो जाने को लेकर आम आदमी पार्टी ने परीक्षा निरस्त करने की मांग की है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देकर इसे घोटाला बताते हुए जांच और कार्रवाई की भी मांग की है। पार्टी की युवा इकाई के अध्यक्ष एडवोकट मयंक सिंह तोमर के नेतृत्व में दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि परीक्षा निरस्त कर नए सिरे से कराई जाए। ज्ञापन देने वालों में पवन सिंह भदौरिया, शिवम सिंह तोमर,प्रवीण कुमार, अंकित जादौन, अमन खान, गौरव तोमर, केतन दुबे, शुभम तोमर,सत्येंद्र सिंह तोमर, विक्की सिंह भदौरिया सचिव, मोहन सिंह तोमर, अजय सिंह तोमर, गौरव सिंह तोमर, भवानी लाल, गोविंद सिंह शामिल रहे। पार्टी ने चेतावनी दी है. कि परीक्षा निरस्त न होने पर आंदोलन तेज किया जाएगा।
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बाल विकास एवं शिक्षाशास्य (child Development & Pedagogy )

  • बाल विकास की अवधारणा एवं इसका अधिगम से संबंध
  • विकास और विकास को प्रभावित करने वाले कारक
  • बाल विकास के सिद्धांत।
  • बालकों का मानसिक स्वास्थ्य एवं व्यवहार संबंधी समस्याएं।
  • वंशानुक्रम एवं वातावरण का प्रभाव।
  • समाजीकरण प्रक्रियाएं सामाजिक जगत एवं बच्चे (शिक्षक, अभिभावक, साथी)
  • पियाजे, पावलब, कोहलर और थार्नडाइक: रचना एवं आलोचनात्मक स्वरूप
  • वाल केन्द्रित एवं प्रगतिशील शिक्षा की अवधारणा । 
  • बुद्धि की रचना का आलोचनात्मक स्वरूप और उसका मापन, बहुआयामी बुद्धि।
  • व्यक्तित्व और उसका मापन भाषा और विचार
  • सामाजिक निर्माण के रूप में जेंडर, जेंडर की भूमिका, लिंगभेद और शैक्षिक प्रथाएं।
  • अधिगम कर्त्ताओं में व्यक्तिगत भिन्नताएं, भाषा, जाति, लिंग, संप्रदाय, धर्म आदि की विषमताओं पर आधारित भिन्नताओं की समझ
  • अधिगम के लिए आंकलन और अधिगम का आंकलन में अंतर, शाला आधारित आंकलन, सतत मूल्यांकन, स्वरूप और प्रथाएं (मान्यताएं)एवं समग्रअधिगमकर्त्ताओं की तैयारी के स्तर के आंकलन हेतु उपयुक्त प्रश्नों का निर्माण कक्षाकक्ष में अधिगम को बढ़ाने आलोचनात्मक चिंतन तथा अधिगमकर्त्ता की उपलब्धि के आंकलन के लिए।
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 (ब) समावेशित शिक्षा की अवधारणा एवं विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की समझ
  • अलाभान्वित एवं वंचित वर्गों सहित विविध पृष्ठभूमियों के अधिगमकर्त्ताओं की पहचान | अधिगम फठिनाइयों, ‘क्षति’ आदि से ग्रस्त बच्चों की आवश्यकताओं की पहचान ।
  • प्रतिभावान, सृजनात्मक, विशेष क्षमता वाले अधिगमकर्त्ताओं की पहचान।
  • समस्याग्रस्त बालकः पहचान एवं निदानात्मक पक्ष .
  • बाल अपराधः कारण एवं प्रकार
(स) अधिगम और शिक्षा शास्त्र (पेडागाजी)
  • बच्चे कैसे सोचते और सीखते हैं, बच्चे शाला प्रदर्शन में सफलता प्राप्त करने में क्यों और कैसे असफल होते हैं।
  • शिक्षण और अधिगम की मूलभूत प्रक्रियाएं, बच्चों के अधिगम की रणनीतियों, अधिगम एक सामाजिक प्रक्रियाके रूप में, अधिगम का सामाजिक संदर्भ
  • समस्या समाधानकर्ता और वैज्ञानिक-अन्वेषक के रूप में बच्चा
  • बच्चों में अधिगम की वैकल्पिक धारणाएं, बच्चों की त्रुटियों को अधिगम प्रक्रिया में सार्थक कड़ी के रूप में
  • समझना । 
  • अधिगम को प्रभावित करने वाले कारकः अवधान और रुचि ।
  • संज्ञान और संवेग अभिप्रेरणा और अधिगम
  • अधिगम में योगदान देने वाले कारक व्यक्तिगत और पर्यावरणीय
  • निर्देशन एवं परामर्श अभिक्षमता और उसका मापन
  • स्मृति और विस्मृति
गणित (Mathematics )
  • संख्या पद्धति 1000 से बडी संख्याओं को पढ़ना व लिखना, 1000 से बडी संख्याओं पर स्थानीय मान की समझ व चार मूलभूत संक्रियाएँ 
  • जोड़ना व पटाना पाँच अंको तक की संख्याओं का जोड़ना व घटाना
  • गुणा- 2 या 3 अंको की संख्याओं का गुणा करना |
  • भाग- दो अंको वाली संख्या से चार अंको वाली संख्या में भाग देना
  • भिन्न-भिन्न की अवधारणा, सरलतम रूप समभिन्न, विषम भिन्न आदि भिन्नों का जोड़ना घटाना गुणा व
  • भाग, समतुल्य भिन्न, मिन को दशमलव मे तथा दशमलव संख्या को भिन्न में लिखना |
  • सामान्यतः प्रयोग होने वाली लंबाई, भार, आयतन की बड़ी व छोटी इकाई में संबंध | बड़ी इकाइयों में तथा छोटी इकाइयों में तथा छोटी इकाइयों को बड़ी इकाइयों में बदलना |
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  • जात इकाइयों में किसी ठोस वस्तु का आयतन ज्ञात करना । 
  • पैसा लंबाई, भार, आयतन तथा समय अंतराल से संबंधित प्रश्नों में चार मूल गणितीय संक्रियाओं का उपयोग करना
  • मीटर को सेंटीमीटर एवं सेंटीमीटर को मीटर में बदलना। पैटर्न संख्याओं से संबंधित पैटर्न को समझ आगे बढ़ाना, पैटर्न तैयार कर उसका संक्रियाओंके आधार पर सामान्यीकरण, त्रिभुजीय संख्याओं तथा वर्ग संख्याओं के पैटर्न पहचानना |
  • ज्यामिति मूल ज्यामितीय अवधारणायें, किरण, रेखाखण्ड, कोण (कोणों का वर्गीकरण), त्रिभुज, (त्रिभुजों का वर्गीकरण (1) भुजाओं के आधार पर (2) कोणों के आधार पर) त्रिभुज केतीनों कोणों का योग 180° होता हैं।
  • वृत्त के केंद्र, त्रिज्या तथा व्यास की पहचान व समझ । वृत्त, त्रिज्या व व्यास में परस्पर संबंध, सममित आकृति, परिवेश आधार पर समानान्तर रेखाव लम्बवत रेखा की समझ | सरल ज्यामितीय आकृतियों (त्रिभुज, आयत, वर्ग) का क्षेत्रफल तथा परिमाप दी गई आकृतिइकाई मानकर ज्ञात करना
  • परिवेश की 2D आकृतियों की पहचान | दैनिक जीवन से संबंधित विभिन्न आकड़ों को एकत्र करना
  • घड़ी के समय को घंटे तथा मिनिट में पढ़ना तथा AM और PM के रूप में व्यक्त करना |
  • 24 घंटे की घड़ी का 12 घंटे की घड़ी से संबंध | • दैनिक जीवन की घटनाओं में लगने वाले समय अंतराल की गणना ।
  • गुणा तथा भाग में पैटर्न की पहचान |
  • सममिति पर आधारित ज्यामिति पैटर्न।
  • दण्ड आलेख के माध्यम से प्रदर्शित कर उससे निष्कर्ष निकालना |
(ब) शिक्षा शास्त्र (पेडागाजी)
  • गणित शिक्षण द्वारा चिन्तन एवं तर्कशक्ति का विकास करना। पाठ्यक्रम में गणित का स्थानगणित की भाषा
  • प्रभावी शिक्षण हेतु परिवेश आधारित उपयुक्त शैक्षणिक सहायक सामग्री का निर्माण एवं उसका उपयोग करनेकी क्षमता का विकास करना
  • मूल्यांकन की नवीन विधियाँ, निदानात्मक परीक्षण व पुनः शिक्षण की क्षमता का विकास करना। गणित शिक्षण की नवीन विधियों का कक्षा शिक्षण में उपयोग करने की क्षमता

पर्यावरण अध्ययन (Environmental Study )
1. हमारा परिवार, हमारे मित्र
  • परिवार और समाज से सहसंबंध -परिवार के बड़े-बड़े बीमार, किशोर, विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों की देखभाल और उनके प्रति हमारी संवेदनशीलता ।
  • हमारे पशु, पक्षी हमारे पालतू पशु-पक्षी, माल वाहक पशु, हमारे आस-पास के परिवेश में जीव-जन्तु,जानवरों पर प्रदूषण का प्रभाव ।
  • हमारे पेड़-पौधे स्थानीय पेड़-पौधे पेड़-पौधों एवं मनुष्यों की अन्तः निर्भरता, बनों की सुरक्षा और उनकीआवश्यकता और महत्व, पेड़-पौधों पर प्रदूषण का प्रभाव
  • हमारे प्राकृतिक संसाधन प्रमुख प्राकृतिक संसाधन, उनका संरक्षण, ऊर्जा के पारंपरिक और नवीनीकृत एवं अनवीनीकृत स्रोत ।
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2. खेल एवं कार्य
  • खेल, व्यायाम और योगासना
  • पारिवारिक उत्सव, विभिन्न मनोरंजन के साधन-किताबें, कहानियाँ, कठपुतली प्ले मेला मांस्कृतिक कार्यक्रम एवं दिवसों को विद्यालय में मनाया जाना। – विभिन्न काम धंधे, उद्योग और व्यवसाय
3. आवास
  • पशु, पक्षी और मनुष्य के विभिन्न आवास, आवास की आवश्यकता और स्वस्थ जीवन के लिए आवास की विशेषताएँ।
  • स्थानीय इमारतों की सुरक्षा, सार्वजनिक संपत्ति, राष्ट्रीय धरोहर और उनकी देखभालउत्तम आवास और उसके निर्माण में प्रयुक्त सामग्री निर्माण सामग्री की गणना करना । 
  • शौचालय की स्वच्छता, परिवेश की साफ-सफाई और अच्छी आदते।
4. हमारा भोजन और आदतें
  • भोजन की आवश्यकता, भोजन के घटक 
  • फल एवं सब्जियों का महत्व, पौधों के अंगों के अनुसार फल, सब्जियाँ।
  • भोज्य पदार्थों का स्वास्थ्य वर्धक संयोजन
  • विभिन्न प्रकार की आयु का भोजन और उनको ग्रहण करने का सही समय
  • उत्तम स्वास्थ्य हेतु भोजन की स्वच्छता और सुरक्षा के उपाय। 
  • खाद्य संसाधनों की सुरक्षा

5. पानी और हवा प्रदूषण एवं संक्रमण
  •  जीवन के लिए स्वच्छ पानी और स्वच्छ हवा की आवश्यकता।
  • स्थानीय मौसम, जल चक्र और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और जलवायु परिवर्तन में हमारी भूमिका ।
  • पानी के स्त्रोत, उसके सुरक्षित रखरखाव और संरक्षण एवं पोषण के तरीके।
  • संक्रमित वायु एवं पानी से होने वाले रोग, उनका उपचार और बचाव, अन्य संक्रामक रोग
  • हवा, पानी, भूमि का प्रदूषण और उससे सुरक्षा, विभिन्न अपशिष्ट पदार्थों और उनका प्रबंधन, उचित निस्तारण
  • भूकंप, बात, सूखा आदि आपदाओं से सुरक्षा और बचाव के उपाय, आपदा प्रबंधन
  • प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन संसाधनों का उचित दोहन, डीजल, पेट्रोलियम खपत एवं संपोषण आदि

 

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