Recruitment of principal in government colleges of mp \\ 83 कॉलेजों की रिव्यू मीटिंग • बीयू में भोपाल और नर्मदापुरम संभाग के प्राचार्य जुटे
Recruitment of principal in government colleges of mp
दो चरणों में होगी 4 हजार असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती, इसी महीने आ सकता है नोटिफिकेशन
हायर एजुकेशन कमिश्नर कर्मवीर शर्मा ने सोमवार को बरकतउल्ला विश्वविद्यालय (बीयू) भोपाल और नर्मदापुरम संभाग के 83 सरकारी कॉलेजों की रिव्यू मीटिंग बुलाई।
इस दौरान कॉलेजों ने नेशनल असेसमेंट एंड एक्रीडिटेशन से ग्रेडिंग कराने में आने वाली समस्याएं बताई।
कुछ कॉलेजों ने कहा कि 5 साल में छात्र संख्या दोगुना हो गई है, लेकिन नया स्टॉफ नहीं मिला। ऐसे में छात्र और शिक्षक का अनुपात गड़बड़ा गया है।
कमिश्नर शर्मा ने कहा कि यह समस्या जल्द ही खत्म होगी। एक साल में 4 हजार असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती करेंगे।
विभाग में ज्वाइन करते ही भर्ती की कार्रवाई शुरू कर दी है। पहले चरण में हम दो हजार पदों पर भर्ती कर रहे हैं, इसलिए मप्र लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) को प्रस्ताव भेजा है। इसी साल दिसंबर में ही विज्ञापन जारी हो सकेगा। बाकी दो हजार पदों के लिए अप्रेल 2023 तक विज्ञापन जारी कराया जाएगा।
वहीं लगभग 500 पदों पर कर्मचारी चयन मंडल के माध्यम से नॉन टीचिंग स्टॉफ की भर्ती की प्रक्रिया भी शुरू कराई जा रही है। इसके अलावा उन्होंने बताया कि विभाग राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान और विश्व बैंक के प्रोजेक्ट के माध्यम से कॉलेजों के इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार के लिए भी लगातार काम कर रहा है।
कॉलेजों को बता दो – सीएचई सनकी आया है। -Recruitment of principal in government colleges of mp
प्राइवेट कॉलेजों को एक लाइन में मैसेज पहुंचा दो कि सरकारी काम में को-ऑपरेट नहीं करेंगे तो एनओसी और संबद्धता खत्म हो जाएगी। उन्हें बता दो कि सीएचई सनकी आया है। नेता जी कॉल करें तो मेरी तरफ डायवर्ट कर दो, सख्ती का माहौल बना दीजिए। -कर्मवीर शर्मा, कमिश्नर हायर एजुकेशन (सीएचई)

कॉलेज प्राचार्यों ने बताया कि प्राइवेट कॉलेजों के छात्रों की मार्कशीट नहीं मिलने, टीसी नहीं देने जैसी शिकायतें आती हैं, लेकिन प्राइवेट कॉलेज को-ऑपरेट नहीं करते। जानकारी नहीं देते। इसे लेकर कमिश्नर ने नाराजगी जाहिर की और कहा कि यदि प्राइवेट कॉलेज सुनते नहीं है, को-ऑपरेट नहीं करते,
समय पर जानकारी नहीं देते तो इन्हें सख्ती से रगड़िए। इन्हें पसीना आना चाहिए। कैसे हिम्मत हो गई जो सरकारी काम में मदद नहीं कर रहे हैं। यह लाइन लगाकर खड़े रहें, ऐसी नौबत ले लाइए। मैं साथ में हूं। कौन आ रहा है, किस नेताजी का फोन आ रहा है, उसे मेरी तरफ डायवर्ट कर दीजिए।
496 posts of principal and 3 thousand 997 posts of professor are vacant in government colleges of Madhya Pradesh
रगडपट्टी मचा दीजिए। वे भी समय पर जानकारी देंगे। विभाग एनओसी निरस्त करने का नोटिस दे और विवि संबद्धता खत्म करने नोटिस थमाए उन्हें एक लाइन का मैसेज पहुंचा दीजिए कि आपके कॉलेज से शिकायत नहीं आनी चाहिए, क्योंकि कमिश्नर सनकी आ गए हैं।
वो कार्रवाई करेंगे। एनओसी हम दे रहे हैं, संबद्धता हम दे रहे हैं। वो हमारे रहमो करम पर चल रहे हैं। इसके बाद भी हमारी बात कैसे नहीं सुनेंगे। सख्ती वाला माहौल क्रिएट कर दीजिए। इसके लिए उन्होंने अतिरिक्त संचालक को जिम्मेदारी और चेताया भी इस मामले में किसी का शोषण नहीं होना चाहिए।
आगे यह स्थिति न बने कि छात्र सीएम साहब को शिकायत करें ….
कमिश्नर ने छात्रों की समस्याओं को हल करने के लिए कॉलेजों में लोकल स्तर पर रिड्रेसल सेल को मजबूत करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यदि छात्र को अपनी समस्या को हल कराने के लिए सीधे मुख्यमंत्री तक शिकायत पहुंचानी पड़ रही है तो हमारे रहने का क्या मतलब है।
इसलिए कॉलेज, विवि और विभाग स्तर पर ही उनकी समस्याओं का निराकरण हो जाना चाहिए। सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत पहुंचती है तो तीन दिन के अंदर छात्र से संपर्क करें और उसका निदान कराएं।
छात्रों के माइंडसेट के अनुसार काम कीजिए….
कमिशनर ने कहा कि सीएम हेल्पलाइन पर आई शिकायतों को हल कराने के प्रोसेस को समझना होगा। इसके छात्रों से संपर्क करने का सिस्टम बनाइए। जहां ज्यादा शिकायतें आती हैं, वहां बड़ा सिस्टम तैयार कीजिए। स्टूडेंट के माइंडसेट के अनुसार काम करना होगा।
इससे समस्या जल्द हल होंगी। लकीर के फकीर बनकर नहीं बैठे रहता है।

फैकल्टी नहीं होने से प्रोजेक्ट और ग्रांट मिलने में दिक्कत
गवर्नमेंट कालेजों में प्रिंसिपल की कमी के साथ ही टीचिंग स्टाफ के पद भी बड़ी संख्या में खाली हैं। इस वजह से प्रदेश में करीब 5 हजार अतिथि विद्वान पढ़ा रहे हैं। लेकिन, परमानेंट फैकल्टी न होने की वजह से विभिन्न प्रोजेक्ट और ग्रांट मिलने में कॉलेजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
स्थायी फैकल्टी न होने से संबंधित फंडिंग एजेंसियां भी ग्रांट देने में संकोच करती हैं। इससे पढ़ाई का स्तर भी गिरने की संभावना है।
अब भी 4 हजार प्रोफेसर्स कम हैं, अतिथि के भरोसे चल रहे कॉलेज
इसी के साथ कॉलेजों में अब भी करीब चार हजार प्रोफेसर्स कम हैं। कॉलेजों में प्रोफेसर के 848 और असिस्टेंट प्रोफेसर के 9633 पद स्वीकृत हैं। इस तरह से कुल 10,481 पदों में से 3997 खाली हैं। दो साल पहले असिस्टेंट प्रोफेसर के पद भरे गए थे। अतिथि विद्वान महासंघ के डॉ. आशीष पांडेय ने बताया कि कई बार अतिथि विद्वानों को स्थायी करने की मांग की गई, लेकिन कुछ नहीं हुआ। कॉलेज में साढ़े चार हजार अतिथि विद्वान पढ़ा रहे हैं।
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